विधायक का टिकट लेने के लिए कितना पैसा लगता है? : जानिए सच्चाई और MLA बनने का ख़र्च

विधायक का टिकट लेने के लिए कितना पैसा लगता है? : भारत के राज्य में एक विधान सभा या विधानसभा होती है जिसका परिचालन विधान सभा के सदस्यों (MLAs) करते हैं। विधायक लोगों के सीधे प्रतिनिधि होते हैं, जो निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं द्वारा चुने जाते हैं।
आज का हमारा यह आर्टिकल आपको विधायकों के लिए पात्रता, शर्त, उनकी शक्ति और अयोग्यता, विधायक बनने की लागत और कानूनी खर्च सीमा जैसे मुद्दों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेगी, इसलिए आर्टिकल के साथ बने रहें और जानें की आख़िरकार भारत में विधायक का टिकट लेने के लिए कितना पैसा लगता है?
चुनाव खर्च की सीमाएँ (Limitations of Election Expenses)
Election Commission of India (ECI) प्रत्याशी के द्वारा चुनाव प्रचार पर किये जा सकने वाले अधिकतम खर्च को सीमित करता है। यह आँकड़ा अलग-अलग राज्यों और चुनाव की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग होता है, चाहे वह लोकसभा हो या राज्य विधानसभा।
राज्य विधानसभा चुनावों के लिए खर्च की सीमा ₹28 लाख से ₹40 लाख के बीच है। नियमों का उद्देश्य एक उचित आधार प्रदान करना है ताकि अमीर उम्मीदवार अनुचित लाभ न उठा सकें।
विधान सभा सदस्य: पात्रता मानदंड (Eligibility Criteria for Legislative Assembly)

विधायक (MLA – Member of the Legislative Assembly) बनने के लिए सामान्य पात्रता मानदंड में कुछ शर्तें शामिल हैं;
- उम्मीदवार भारतीय नागरिक होने चाहिए।
- उनकी उम्र सीमा 25 वर्ष होनी चाहिए।
- उनका मानसिक संतुलन अच्छा होना चाहिए।
- जन प्रतिनिधित्व अधिनियम (People’s Representation Act), 1951 के अनुसार, उन्हें उस राज्य के किसी भी विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र के लिए निर्वाचक होना चाहिए।
- उन्हें भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन भारतीय संघ के मंत्री के अलावा किसी भी लाभ के पद पर नहीं होना चाहिए।
विधायक का टिकट लेने के लिए कितना पैसा लगता है? (How Much Money is Required to Become a MLA?)
आपको शायद पता नहीं होगा, लेकिन सच बात तो ये हैं की भारत में चुनाव लड़ने के लिए बहुत ज्यादा पैसा लगता है, चुनाव आयोग ने MP (Member of Parliament) और MLA (Member of the Legislative Assembly) के लिए क्रमशः 95 लाख रुपये और 40 लाख रुपये खर्च करने की सीमा तय की है।

यह एकदम अधिकारिक है, लेकिन इससे किसी के चुने जाने की या चुनाव जीतने की कोई गारंटी नहीं मिलती। हालांकि, आधिकारिक जिम्मेदारियों (Official Responsibilities) के साथ-साथ, एक वरिष्ठ पार्टी से टिकट खरीदने, इलाके (Urban) और ग्रामीण के बाद से मतदाताओं को विधानसभा चुनाव के लिए आमतौर पर यह नामांकन शुल्क ₹10,000 (सामान्य वर्ग) और ₹5,000 (SC/ST) के लिए देना होता है।
नामांकन के अलावा भी कई प्रकार के खर्च होते हैं, जिसमे पोस्टर, रैली, सोशल मीडिया प्रचार, कार्यकर्ताओं की सैलरी आदि जैसी चीजें शामिल होते हैं। साथ ही यह दर व्यक्ति, बूथ/निर्वाचन क्षेत्र आदि पर निर्भर करता है। इसलिए आप यह मान सकते हैं की विधायक का टिकट पाने (MLA Ticket Price In India) के लिए कोई तय रकम नहीं है। यह काफ़ी अलग अलग चीजों पर निर्भर करती हैं।
एक प्रवासी आम आदमी के लिए आगे बढ़ना या निर्वाचित होना सुलभ नहीं है। लेकिन अगर आपके अंदर जज़्बा और जूनून हैं तो आप अपनी मेहनत के दम पर MLA बन सकते हैं, मगर आपको इसमें काफ़ी समय लगेगा अपनी पहचान और पकड़ बनाने में।
क्या होती है पार्टी की टिकट? (What is a Party Ticket?)

दरअसल, जब भी कोई चुनाव लड़ता है तो पार्टी की ओर से टिकट दी जाती है तो इसका मतलब है कि कोई राजनीतिक पार्टी (Political Party) उस क्षेत्र में अपना प्रतिनिधि को चुन रही है और चुनाव लड़ने की इजाजत दे रही है।
इसका मतलब होता है पार्टी अपना चुनाव चिह्न (Election Symbol) किसी विशेष व्यक्ति को अलॉट करती है। यानी वो उम्मीदवार उस चुनाव चिह्व के जरिए अपना चुनाव लड़ सकता है। इसके प्रोसेस को ही टिकट मिलना कहता है।
भारत में चुनावी खर्च की क्या व्यवस्था है? (What is the system of election expenditure in India?)

- जन प्रतिनिधित्व कानून (People’s Representation Act) के तहत राजनीतिक दल व्यक्तियों से चंदा ले सकते हैं। चंदा देने वालों को इस रकम पर पूरी टैक्स छूट मिलती है।
- इलेक्टोरल ट्रस्ट (Electoral Trust) और दूसरे तरीकों से कंपनियां भी पार्टियों को चंदा देती हैं। कंपनीज ऐक्ट सहित कई नियमों के जरिए इसे रेगुलेट किया गया है।
- 2017 में चुनावी बॉण्ड की (Election Bond) व्यवस्था शुरू हुई थी, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया है।
- प्रत्याशियों के लिए खर्च की सीमा है, लेकिन ऐसी कोई लिमिट पार्टियों के लिए नहीं है।
निष्कर्ष
विधायक (MLA) बनने के लिए बहुत सारे वित्तीय निवेश की आवश्यकता होती है, लेकिन खर्च बहुत अलग हो सकता है। हालाँकि चुनाव आयोग समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए खर्च पर लगाम लगाता है, लेकिन चुनाव की लागत अलग हो सकती है। चुनाव खर्च को पारदर्शी बनाया जाना चाहिए ताकि लोकतांत्रिक व्यवस्था अपनी अखंडता न खो दे।
विधान सभा का सदस्य बनने के लिए कम से कम उमर कितनी होनी चाहिए?
विधान सभा का सदस्य बनने के लिए कम से कम उमर 25 वर्ष होनी चाहिए।
पार्टी की टिकट से क्या तात्पर्य है?
जब भी कोई चुनाव लड़ता है तो पार्टी की ओर से टिकट दी जाती है तो इसका मतलब है कि कोई राजनीतिक पार्टी उस क्षेत्र में अपना प्रतिनिधि को चुन रही है और चुनाव लड़ने की इजाजत दे रही है।
विधायक बनने के लिए कितना खर्च लगता है?
चुनाव आयोग ने एमपी (MP) और एमएलए (MLA) के लिए क्रमशः 95 लाख रुपये और 40 लाख रुपये खर्च करने की सीमा तय की है।